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Assistant Professor and Dietician
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मनुष्य के शरीर में अनेक प्रकार के रासायनिक पदार्थों का निर्माण होता है। ये पदार्थ शरीर के विभिन्न तंन्त्रों में होने वाली सामान्य क्रियाओ के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। शरीर में उपस्थित इन्हीं रासायनिक पदार्थों में से एक यूरिक एसिड भी होता है | इस यूरिक एसिड की मात्रा शरीर में बढ़ने के कारण कई प्रकार की बीमारियों का खतरा भी होता है। इसलिए हमें यूरिक एसिड के विषय में सही जानकारी रखना बहुत महत्वपूर्ण है ।
हमारे शरीर में रोज पुरानी कोशिकाएं टूटती हैं और उनका पुनः निर्माण होता है।इन कोशिकाओं के टूटने से यूरिक एसिड उत्प्प्न होता है।इसके साथ साथ हम जो भोजन गृहण करते है उससे भी यूरिक एसिड का निर्माण होता है। शरीर की पाचन क्रिया में प्यूरीन नामक प्रोटीन टूटता है, जिसके टूटने से भी हमारे शरीर में यूरिक एसिड (Uric acid) का निर्माण होता है।यूरिक एसिड मुख्य रूप से खून में उपस्थित रहता है।खून में इसका स्तर 6.8mg/dL से अधिक हो जाने पर हाइपरयूरिसिमिया हो जाता है।
प्यूरीन सामान्य रूप से पाचन क्रिया के दौरान शरीर में उत्पन्न होता है और कुछ भोज्य पदार्थों जैसे - रेड मीट (लाल रंग के मांस), बीफ , सूअर का मांस , मुर्गी पालन , मछली और समुद्री भोजन, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, पालक, मटर, पनीर, भिंडी, अरबी, चावल, सूखे सेम में होता है और पेय पदार्थो में रेड वाइन, बीयर आदि शामिल हो सकते हैं, जिससे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को बहुत बढ़ा सकते हैं। जब शरीर में हाइपरयूरिसिमिया होने से गठिया, डायबिटीज (Diabetes), हार्ट प्राब्लम्स (Heart problem), किडनी की समस्याएँ के बढ़ने का खतरा हो सकता है।
यूरिक एसिड (ट्राइऑक्सीप्यूरिन) 7.4 के सामान्य शारीरिक पीएच पर, यूरेट के आयनित रूप में निर्वहित होता है। प्यूरीन का चयापचय मुख्यत: यकृत में होता है। यूरिक एसिड का २/३ भाग गुर्दे में और १/३ भाग आंतों में उत्सर्जित होता है। गुर्दे में यूरिक एसिड का निस्पंदन और स्रावन का कार्य होता है गुर्दे की निस्पंदन क्रिया में विकार उत्पन्न होने पर हाइपरयुरिसीमिया हो सकता है।
युरिक एसिड बढ़ने के मुख्य कारणों में शामिल हैं:
ये सभी कारण शरीर के युरिक एसिड के स्तर में बढ़ोतरी को बढ़ावा देते हैं।
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यूरिक एसिड का बढ़ना एक महत्वपूर्ण और सामान्य समस्या है जो ज्यादातर मानवों में पायी जाती है। यूरिक एसिड के बढ़ने के कुछ मुख्य लक्षण हैं:-
यूरिक एसिड की समस्या को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर के परामर्श के साथ साथ अपने संतुलित भोजन योजना में भी कुछ परिवर्त्तन लाने आवश्यक है और उसका नियमित पालन करने पर आपको उचित परिणाम मिलते हैं। आहार परिवर्तन के साथ -साथ व्यायाम पाचन प्रक्रिया दुरुस्त होने में मदद करता है।
हमें यह जानना सबसे महत्वपूर्ण है कि किस तरह का आहार परिवर्तन करें जो इसके नियंत्रण में सहायक हो हमारे दैनिक भोजन में प्यूरिन की मात्रा लगभग 600-1000 मिलीग्राम है। जिसे आहार में बदलाव लाकर इसे 100-150 मिलीग्राम तक सिमित करनी चाहिए।
अपने भोजन को तैयार करने के लिए जैतून के तेल का उपयोग करें जैतून का तेल मोनो सैचुरेटेड फैट यानि अच्छे वसा के रूप में जाना जाता है। जिसके सेवन से यूरिक एसिड का स्तर कम हो सकता है।
सेब का सिरका प्राकृतिक क्लीन्जिग व डिटॉक्सिफाइंग का कार्य करता है यह एंटीऑक्सीडेंट और anti-inflammatory फ़ूड है, जो शरीर में खून के पीएच लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है.यूरिक एसिड को भी कम करता है।
नींबू में उपस्थित साइट्रिक एसिड शरीर को अधिक अल्काइन (alkaline) बनाने में मदद करता है. जो पीएच लेवल को बढ़ाता है। आपको अपने आहार में नींबू पानी को अवश्य शामिल कर लेना चाहिए. इसमें साइट्रिक एसिड पाया जाता है, सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीये इससे बढ़ा हुआ वजन घटाने में और यूरिक एसिड कंट्रोल करने में भी मदद मिलेगी।
बेकिंग सोडा अल्कलाइन के लेवल को नियंत्रित रखता है।यूरिक एसिड को घुलनशील बना देता है। एक या आधा चम्मच बेकिंग सोडा एक ग्लास पानी में मिलाकर दिन में २ से ३ बार पिएं, ऐसा करने से यूरिक एसिड कम होता है।
कच्चे पपीते में फाइबर ,विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं।जिससे यूरिक एसिड के कारण होने वाले जोड़ों में दर्द से राहत मिलती है।यह प्रोटीन के पाचन में मदद करता है। जिससे रक्त में यूरिक एसिड के निर्माण कम होता है।
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