चाय के प्रकार ,उनके फायदे और कुछ रोचक तथ्य
हम लोगो ने यह अनुभव किया होगा की हमारे परिवार ,मित्रों और रिश्तेदारों की बीच बातचीत के लिए चाय एक पसंदीदा ड्रिंक होता है |अक्सर हम लोग एक या दो प्रकार की ही चाय बनाते है| हम लोग चाय से जुड़ी हेल्थ बेनिफिट्स को नहीं जानते है|कुछ अन्य प्रकार की चाय भी होती है |जैसे - ब्लैक टी ,वाइट टी ,ग्रीन टी , ओलॉन्ग और पु-एरह (Pu-erh) टी| जिन्हे बनाकर हम न केवल अपने प्रियजनों को खुशकर सकते है| बल्कि उनको बहुत सी बीमारियों से दूर रख सकते है| आइये पहले यह जानते है कि चाय कैसे प्राप्त होती है| फिर चाय के प्रकार ,उनके फायदे और कुछ रोचक तथ्यों के विषय में जानेगें |
चाय कैसे प्राप्त होती है :-
चाय कैमेलिया सिनेंसिस सदाबहार झाड़ी या छोटे पेड़ की ताजी पत्तियों को गर्म या उबलता हुआ पानी डालकर फिर उसे सुखा दिया जाता है|जिससे उनमे आक्सीकरण नहीं हो पाता है|चाय पूर्वी एशिया की एक सदाबहार झाड़ी है| जो दक्षिण-पश्चिमी चीन और उत्तरी म्यांमार की सीमा में प्राप्त हुई थी |वर्तमान समय में भारत व चीन में चाय का उत्पादन किया जाता है | चाय की पत्तियों में फ्लेवोनॉयड्स नामक एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है| जो ह्रदय की बीमारियों और कैंसर से बचाव करता है। चाय में मौजूद कैफीन और थिएनाइन उत्तेजक प्रदार्थ जो दिमाग को प्रभावित करते है और दिमाग की थकान को दूर करके मानसिक सतर्कता को बढ़ा देते हैं|
काली चाय (Black Tea):---
जिसे पूर्व एशिया में लाल चाय के नाम से भी जाना जाता है | काली चाय जो अन्य चाय की तुलना में अधिक ऑक्सीकृत होती है । काली चाय में स्वाद व सुगंध भी अन्य चाय की अपेक्षा अधिक होती है | काली चाय कई वर्षो तक बना रहता है | दार्जिलिंग, असम, नीलगिरि और श्रीलंका में गाढ़े भूरे या काले रंग की पत्तियों वाली चाय प्राप्त होती है | काली चाय खराब कोलेस्टेरॉल को कम करके हमारी इम्यून सिस्टम को बेहतर रखती है। यह शरीर में किसी भी प्रकार के तनाव को काम करके शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स के प्रभावों को कम कर देते है|
सर्व करने के तरीके -:
ब्लैक-टी को ज्यादातर हम लोग दूध और चीनी के साथ ही लेते है| काली चाय को अन्य स्वादों में भी तैयार किया जाता है| जैसे- बिना दूध के नीबू और शहद के साथ भी ले सकते है|काली चाय में लेमनग्रास, अदरक, इलायची और स्वीटनर के साथ भी लिया जाता है | इसके साथ- साथ मसाला चाय भी बना सकते हैं।
कुछ रोचक तथ्य -:
लेडी ग्रे व अर्ल ग्रे चाय जिसमें बर्गामोट तेल और नीबू के छिलके ,संतरे के छिलके डाले जाते है।लेडी ग्रे टी कंपनी एक मशहूर पंजीकृत ट्रेडमार्क है|दूध व चीनी के साथ ली जाने वाली चाय को अंग्रजी नास्ता चाय कहते है |
ग्रीन-टी(Green Tea) :---
ग्रीन टी बनाने के लिए अनऑक्सीडाइज्ड प्रक्रिया से कैमेलिया सिनेंसिस की पत्तियों को भाप में पकाकर तवे पर भुना जाता है|फिर सुखाया जाता है।इसमें सबसे कम संसाधित प्रक्रिया होती है। जिससे इसमें एंटीऑक्सीडेंट अधिक और फायदेमंद पॉलीफेनोल्स मौजूद होते हैं। ग्रीन टी कैफीन की कम मात्रा के कारण मानसिक सतर्कता को प्रभावित करता है |रिसर्च में पता चला हैकि ग्रीन टी का रोज सेवन करने से कैंसर या हृदय रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है ।ग्रीन टी मेटाबॉलिज्म को बड़ा कर वजन कम करने में सहायक है।ग्रीन टी सुगर लेवल ,कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करता है| ग्रीन टी की अधिक मात्रा से यकृत विषाक्तता हो सकती है|
सर्व करने के तरीके -: ग्रीन टी को नीबू ,शहद के साथ तैयार केर सकते है| खुसबू के लिए इलायची भी डाली जा सकती है| सर्दी के मौसम में इसमें लौंग व अदरक भी डालकर बनाया जाता है |
कुछ रोचक तथ्य -हरी चाय की खोज सर्वप्रथम चीन में हुई |वहाँ इसे अलग अलग नामों से जाना जाता है| जैसे- जिआंगसु ,चुन मी ,गनपाउडर टी आदि नामों से जानते है| हरी चाय में दो मुख्य मह्त्वपूर्ण तत्व " कैटेचिन " और " थेनाइन " हैं और इन तत्वों के स्वास्थ्य लाभों ने विदेशियों का बहुत अधिक ध्यान आकर्षण किया हैं।हरी चाय कुछ ही वर्षों में अपना स्वाद खो देती है |
ऊलौंग-टी(Oolong Tea) :---
ऊलोंग चाय को अर्ध ऑक्सीडाइज प्रक्रिया से तैयार किया जाता है| इसके स्वाद में भिन्नता होती है| जो मीठी फलदार होती है| उनमे शहद की सुगंध होती है और जो हरे व ताजे होते उनकी सुगंध जटिल होती है | यह चाय ह्रदय की बीमारियों और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है |मेटाबोलिज्म को ठीक करके वजन को कम करने में मदद करता है |इसमें मौजूद कैफीन दिमाग की सतर्कता को बड़ा कर तनाव को कम करता है| यह शरीर में अच्छी एंटीआक्सीडेंट के रूप में काम करती है|यह चाय इन्सुलिन पर भी अपना प्रभाव डालती है| यह दांतो व हड्डियों को भी दुरुस्थ रखता है|
सर्व करने का तरीका -: इसको पानी को गर्म करने के बाद आग से उतार के ऊलोंग टी दाल कर ढक दिया जाता है |यह चाय बहुत अधिक मात्रा में नहीं प्रयोग की जानी चाहिए नहीं तो हानिकारक भी हो जाती है|
कुछ रोचक तथ्य -फुजियान के वुयी पर्वत पर विश्व की सबसे प्रसिद्ध और महंगी ओलोंग चाय को तैयार किया जाता है | दा होंग पाओ (बिग रेड रोब)और दा मिंग कांग चाय बहुमूल्य चाय है | भारत में दार्जलिंग ऊलोंग ,असम ऊलोंग चीनी पद्धति से तैयार की जाती है
व्हाइट-टी(White Tea) :---
यह भी कैमेलिया साइनेंसिस के अपरिपक्व पत्तियों जिसकी कलियाँ पूरी तरह खुलने से पहले ही तोड़ ली जाती है उनसे तैयार किया जाता है| पत्तियों को हवा में या धूप में सूखा कर चाय को बनाया जाता है| इसका नाम चाय के पौधे की बिना खुली कलियों पर महीन चांदी-सफेद बालों से पड़ा है| जिससे पौधे सफेद रंग के दिखते हैं।जबकि चाय का रंग हल्का पीला होता है |यह काफी स्वादिष्ट होती है| व्हाइट-टी में उपस्थित एंटी-कार्सीनोजेनिक प्रदार्थ जो कैंसर जैसी बीमारियों से दूर रखने में सहायक है| यह चाय हमारे शरीर में इन्सुलिन को कंट्रोल करती है |वजन को नियंत्रित करने में मदद करती है| यह हमारे दाँत और मसूड़ों को भी लाभ पहुँचती है ।
सर्व करने का तरीका -: गर्म पानी में चाय की पत्तियों को डालकर उसमे शहद या चीनी ,गुड़ डालकर कुछ समय के लिए ढक दिया जाता है |
कुछ रोचक तथ्य -: व्हाइट टी की लोकप्रिय चाय बाई मुदन (सफेद peony),शौ मेई चाय,चांदी की सुई वाली चाय (चीन की सुप्रसिद्ध चाय ),दार्जलिंग सफेद चाय है |
हर्बल चाय (Herbal Tea):---
हर्बल चाय को हर्बल इन्फ्यूजन भी कहा जाता है|गर्म पानी में जड़ी बूटियों , मसालों ,ताजे या सूखे फूलों, फलों, पत्तियों, बीजों या जड़ों अन्य पौधों की सामग्री को डाल कर चाय के स्थान पर प्रयोग किया जाता है । इसमें कैफीन नहीं होता है |इसके साथ साथ इसमें एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी कम होती है| यह वजन को नियंत्रित करने में सहायक होती है| यह सर्दी जुकाम खाँसी शरीर दर्द में लाभकारी होती है |मासिकधर्म के समय भी आराम देती है |अच्छी नींद लाने में मदद करती है |दालचीनी ,अदरक, नीबू ,तुलसी, सौंफ, पुदीना ,हिबिस्कस, कहवा, रोज़मेरी, कॉफ़ी के फूल आदि की हर्बल चाय तैयार की जाती है|
सर्व करने का तरीका -: हर्बल चाय को तैयार करने के लिए उबलते पानी में जड़ी बूटियों , मसालों ,ताजे या सूखे फूलों, फलों, पत्तियों, बीजों या जड़ों आदि को डाल कर कुछ देर पका कर छान लिया जाता है |फिर उसमे शहद या चीनी ,गुड़ डाल कर परोसा जाता है |
कुछ रोचक तथ्य -:अदरक की जड़ से बनी हर्बल चाय को फिलीपींस में सलाबत नाम दिया गया है| स्टीविया की पत्तियों को हर्बल चाय बनाने के लिए या अन्य पेय पदार्थों में सुगर फ्री के रूप में मिठास लाने के लिए प्रयोग किया जाता है |हर्बल चाय गर्भावस्था में नहीं पीनी चाहिए क्योकि बहुत सी जड़ी बूटियाँ से गर्भपात होने का खतरा रहता है |
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